रविवार, 13 मई 2012

माँ 


माँ 
सिर्फ माँ होती है 
नहीं होती छोटी या बड़ी 
पहले की या बाद की 
माँ , बूढ़ी या जवां भी नहीं होती 
माँ  स्वस्थ या बीमार नहीं होती
नई या पुरानी नहीं होती माँ |
माँ  
इंसान या शैतान नहीं होती 
नहीं होती वो पशु या पक्षी
माँ  होना केवल
पिता की पत्नी होना
नहीं है 
माँ होना केवल और केवल 
माँ होना है 
माँ होना जन्म देना  नहीं है 
माँ होना केवल फीड करना भी नहीं 
माँ  बोध है 
एक  अध्यात्मित एहसास है 
माँ केवल कविता या कहानी नहीं 
माँ उपन्यास भी नहीं 
हाइकु या मुक्तक , दोहा ,रुबाई 
या चौपाई तो कतई भी नहीं 

माँ  सां है, माँ जां है , माँ जहाँ  है
माँ  यहाँ है , वहां है माँ
माँ केवल  माँ है .........


अनंत आलोक





 

शनिवार, 10 मार्च 2012

करके ऐतबार हम यूँ छले गए |
वो आये भी नहीं और चले गए ||
कहते थे दोस्ती निभाएंगे ताउम्र |
हम तो यूँ बीच राह में ठले गए ||
जी लेते  हम उनकी यादों के सहारे |
वो यूँ गए कि हमसे हाथ भी न मले गए||
पलकें बिछाए बैठे थे हम ,वो आयेंगे इधर|
वो दूर से हाथ हिला कर चले गए ||
फूंक कर पीते हैं लोग दूध सुना हमने |
मगर हम तो छाछ से ही जल गए ||
करके ऐतबार हम यूँ छले गए |
वो आये भी नहीं और चले गए ||

शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

कुछ हाइकु

मित्रों ! काफी समय के बाद आज कुछ लिखने का अवसर मिला देखिये ये हाइकु    

१ बोझ अपार 

जहाज  रेगीस्तान

मालिक दीन  |


२ हरा सागर

मीन अठखेलियाँ

  पवित्र स्नान |


३ पाप हारती

सागरस्वरूपा माँ  

ऋषि संगिनी |




शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

हाइकू


आया सावन 
नदी नाले जवान 
केंचुए उगे |



भरी जवानी 
सावन बरसता 
पिया से दुरी |



नदी का शोर 
मुरली मनोहर 
झूमता मोर |



श्याम जलध
नदियाँ उफनती 
धरा गगन |



साजन दूर 
पहला ये सावन 
मैं मजबूर |



भोर मंदम
रोता दिवस आया 
सांझ कीचड़ |

धरा नहाये 
रोम है हरियाये
जख्म भी खाये|



निर्झर शोर
 मास काला बेदर्द 
 हिये न जोर |



बाल खेला 
जवानी खूब सोया 
जीवन खोया |


१०
डडु संगीत 
रिमझिम है ताल 
नाचे बाल |

शनिवार, 4 जून 2011

गाय माता

गाय हमारी माता है, जब तक दूध आता है 

दूध बंद तो घास बंद ,घास बंद तो श्वास बंद 

श्वास बंद देख कर हर कोई नाक चिढ़ाता है 

यूँ गाय हमारी माता है, जब तक दूध आता है 

पूजा मैं  करता हूँ तेरी, जब तक मज़बूरी है मेरी 

कहते हैं तुझे ज़माने से दुःख दर्द सब मिट जाता है

गाय  हमारी माता है, जब तक दूध आता है 

रक्षा  तेरी को संघ घनेरे ,मर जाय  तो सब मुह फेरे 

माँ की किरिया करने वाला, यहाँ नीच कहलाता है 

यूँ गाय हमारी माता है ,जब तक दूध आता है |